सरकार के दावे हवाहवाई, देश में बढ़ रहे हैं टीबी के आंकड़े
रोहित पाल
केन्द्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बुधवार को ‘देश जीतेगा टीबी हारेगा’ कार्यक्रम का आगाज किया। उन्होंने कार्यक्रम में ‘भारत तपेदिक रिपोर्ट 2019’ जारी करते हुए कहा कि सरकार ने भारत को 5 साल पहले ही टीबी की गंभीर बीमारी से मुक्ति दिलाने के लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी कर ली है और सरकार इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने टीबी को हराने का लक्ष्य 2030 तक रखा है लेकिन हम इसे 2025 तक पूरा करेगें। केन्द्र ने टीबी के कार्यक्रम के लिए धनराशि का आबटंन भी बढ़ाकर चार गुना कर दिया है।
वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो एक अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 2018 के दौरान टीबी के मामले 16 फीसदी बढ़ गए हैं, इस दौरान टीबी के 21.5 लाख मामले सामने आए हैं, जो कि 2017 मे आए 18 लाख मामलों की तुलना में 16 फीसदी अधिक हैं।
दुनियाभर में टीबी के सबसे ज्यादा मामले भारत में हैं, विशव स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में भारत में 27.9 लाख लोग टीबी से प्रभावित पाया गये थे और 2016 में करीब 4.23 लाख मरीजों के मौत हुई थी।
विशव स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में भारत में मल्टी-ड्रग रेजिस्टेन्ट टीबी (एमडीआर) के 24 प्रतिशत मामले हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं। इसके बाद चीन में 13 प्रतिशत और रुस में 10 प्रतिशत इस तरह के मामले हैं। आंकडों के मुताबिक भारत उन 30 देशों में उपर है जहां टीबी के मामले सबसे ज्यादा आएं हैं। वहीं पिछले साल टीबी से ग्रस्त 1 करोड़ लोगों में 27 फीसदी लोग भारत के थे।
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक टीबी होने की जानकारी न देना या उसका सही इलाज न हो पाना भी एक चुनौती है। 2017 में टीबी से बीमार हुए 1 करोड़ लोगों में केवल 64 लाख लोगों के टीबी से बीमार होने के अधिकारिक आंकड़े सामने आए थे। हालांकि संगठनों के प्रयासों के बाद साल 2000 के बाद से टीबी से लगभग 5.4 करोड़ लोगों की जान बची है लेकिन यह दुनिया में सबसे संक्रामक बीमारी बनी हुई है।
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